सुप्रीम कोर्ट: नियोजित शिक्षकों कि आपसी मतभेद ने दिया बिहार सरकार को मौका
नई दिल्ली:विशेष रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में चल रहे बिहार के नियोजित शिक्षकों का मामला 'समान काम समान वेतन' अब अपने परिणाम के करीब है,बीस से अधिक सुनवाई हो चुकी पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर बिहार सरकार के SLp में जहां आदर्श गोयल,फलीनरीमन रोहिंटन, अभय मनोहर सप्रे के साथ जस्टिस यू.यू.ललित ने सुनवाई कि वहीं मामला का निपटारा अब यू.यू ललित और अभय मनोहर सप्रे कि खंडपीठ में होने वाला है
केंद्र ने भी वित्तीय स्थिति का हवाला देकर बिहार सरकार के slp खारिज होने पर अन्य राज्यों के मामले पर असर पडने की बात की ।सरकार ने पुरी सुनवाई को आर्थिक मुद्दे पर ही आधारित रखा है।
वहीं दुसरी तरफ शिक्षकों का पक्ष रख रहे विभिन्न शिक्षक संघठनों के अधिकृत वरीय अधिवक्ताओं जैसे सी.ए.सुंदरम,कपिल सिब्बल,अभिषेक मनुसिंघवी, विभा माखिजा, सलमान खुर्शीद, वी.एन.शेखर,राजीव धवन आदि में तालमेल में कमी दिखी ।
टेट स्टेट शिक्षकों का पक्ष रख रही वरीय अधिवक्ता विभा माखिजा ने जहां ncte और rte के मापदंडों पर खडे नियोजित शिक्षकों के लिए सहायक शिक्षक के पद के साथ समान काम समान वेतन को लागू करने कि मांग रखी तो वहीं कपिल सिब्बल दक्षता पास दक्ष नियोजित शिक्षकों कि बात रखते हुए नजर आये।
दोनों पक्ष कि बहस से जहां बिहार सरकार ने वित्तीय संकट कि बात कर असमर्थता जताई तो वहीं शिक्षकोंं कि आपसी तालमेल कि कमी ने संभावित फैसले कि नींव लगभग रख चुकी है।
न्यायालय के समक्ष स्थिति स्पष्ट है जहां राज्य सरकार वित्तीय रुप से असमर्थ है तो वहीं शिक्षकों को समान काम समान वेतन के सिद्धांत से वंचित नहीं किया जा सकता है।
इन सब के बीच हो सकता है कि उच्चतम न्यायालय कोई बीच का रास्ता निकाले जिससे न तो राज्य सरकार के लिए वित्तीय संकटजैसी स्थिति उत्पन्न हो और न ही शिक्षकों के अधिकारों का हनन हो।
सुप्रीम कोर्ट वकील लॉबी कि चर्चाओं पर गौर किया जाये तो फेजवाइज समान वेतन लागू होने कि प्रबल संभावना है जिसमें या तो नियुक्ति तिथि से लाभ मिले या फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले कि तिथि से सभी शिक्षकों को एकसाथ एक समान वेतन
सुप्रीम कोर्ट में चल रहे बिहार के नियोजित शिक्षकों का मामला 'समान काम समान वेतन' अब अपने परिणाम के करीब है,बीस से अधिक सुनवाई हो चुकी पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर बिहार सरकार के SLp में जहां आदर्श गोयल,फलीनरीमन रोहिंटन, अभय मनोहर सप्रे के साथ जस्टिस यू.यू.ललित ने सुनवाई कि वहीं मामला का निपटारा अब यू.यू ललित और अभय मनोहर सप्रे कि खंडपीठ में होने वाला है
वैसे देखा जाये तो ये मामला इतने सुनवाई तक चलेगा इसकी संभावना नहीं के बराबर थी परंतु राज्य सरकार के वकीलों ने जितना समय लिया अपना पक्ष रखने में वो सच में बिहार सरकार कि
नियोजित शिक्षकों के प्रति हीन भावना को ही प्रदर्शित करती है,सरकार के वकीलों को अच्छी तरह से मालूम था कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत अपना तर्क रख कर पटना हाईकोर्ट के फैसले को पलटवाना संभव नहीं है,अतः सुनवाई के दौरान सरकार के वकील श्याम दिवान कि लगातार कोशिश यही रही कि पटना हाईकोर्ट के फैसले को लागू करने पर बिहार जैसे आर्थिक रुप से पिछडे राज्य के लिए त्राहिमाम भरा होगा।
इस दौरान वरीय अधिवक्ता श्याम दिवान ने जहां राज्य कि तरफ से विभिन्न वित्तीय आकंडे पेश कर हाईकोर्ट के फैसले को वित्तीय आपात से जोडते दिखे वहीं कुछ हद तक खंडपीठ के समक्ष अपनी बात का छाप छोडने में सफल होते दिखे ।
वहीं दुसरी तरफ
रही सही कोशिश भारत सरकार का पक्ष रख रहे अटर्नी जनरल के.के.वेणुगोपाल जी ने पुरी कर दीकेंद्र ने भी वित्तीय स्थिति का हवाला देकर बिहार सरकार के slp खारिज होने पर अन्य राज्यों के मामले पर असर पडने की बात की ।सरकार ने पुरी सुनवाई को आर्थिक मुद्दे पर ही आधारित रखा है।
वहीं दुसरी तरफ शिक्षकों का पक्ष रख रहे विभिन्न शिक्षक संघठनों के अधिकृत वरीय अधिवक्ताओं जैसे सी.ए.सुंदरम,कपिल सिब्बल,अभिषेक मनुसिंघवी, विभा माखिजा, सलमान खुर्शीद, वी.एन.शेखर,राजीव धवन आदि में तालमेल में कमी दिखी ।
टेट स्टेट शिक्षकों का पक्ष रख रही वरीय अधिवक्ता विभा माखिजा ने जहां ncte और rte के मापदंडों पर खडे नियोजित शिक्षकों के लिए सहायक शिक्षक के पद के साथ समान काम समान वेतन को लागू करने कि मांग रखी तो वहीं कपिल सिब्बल दक्षता पास दक्ष नियोजित शिक्षकों कि बात रखते हुए नजर आये।
दोनों पक्ष कि बहस से जहां बिहार सरकार ने वित्तीय संकट कि बात कर असमर्थता जताई तो वहीं शिक्षकोंं कि आपसी तालमेल कि कमी ने संभावित फैसले कि नींव लगभग रख चुकी है।
न्यायालय के समक्ष स्थिति स्पष्ट है जहां राज्य सरकार वित्तीय रुप से असमर्थ है तो वहीं शिक्षकों को समान काम समान वेतन के सिद्धांत से वंचित नहीं किया जा सकता है।
इन सब के बीच हो सकता है कि उच्चतम न्यायालय कोई बीच का रास्ता निकाले जिससे न तो राज्य सरकार के लिए वित्तीय संकटजैसी स्थिति उत्पन्न हो और न ही शिक्षकों के अधिकारों का हनन हो।
सुप्रीम कोर्ट वकील लॉबी कि चर्चाओं पर गौर किया जाये तो फेजवाइज समान वेतन लागू होने कि प्रबल संभावना है जिसमें या तो नियुक्ति तिथि से लाभ मिले या फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले कि तिथि से सभी शिक्षकों को एकसाथ एक समान वेतन
RTE NCTE मानकों को पूरा करने वाले शिक्षकों को ' समान काम का सामान वेतन' का सीधा लाभ मिलेगा, अन्य को RTE और NCTE के मानकों पर लाने के लिए Court निश्चित ही कोई अलग फैसला ले सकती है...||
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